طمأن إبليس خليلته : لا تنزعجي يا باريس . | |
إن عذابي غير بئيس . | |
ماذا يفعل بي ربي في تلك الدار ؟ | |
هل يدخلني ربي ناراً ؟ أنا من نار ! | |
هل يبلسني ؟ أنا إبليس ! | |
قالت: دع عنك التدليس | |
أعرف أن هراءك هذا للتنفيس . | |
هل يعجز ربك عن شيء ؟! | |
ماذا لو علمك الذوق ، و أعطاك براءة قديسْ | |
و حباك أرقّ أحاسيسْ | |
ثم دعاك بلا إنذارٍ … أن تقرأ شعر أدونيس ؟! |